केंचुआ खाद (Vermicompost) के व्यापार से कमायें खूब पैसा
भारत में कृषक पिछले कुछ वर्षो से ऑर्गेनिक खेती की और अग्रसर होने लगे है। जिससे उन्हें कृषिगत उत्पादों की अच्छी कीमत भी प्राप्त होने लगी है। एक अच्छी व गुणवत्तापूर्ण फ़सल प्राप्त करने के लिए जैव उर्वरक की महत्ता को नकारा नहीं जा सकता है। वैसे तो जैव उत्पाद बहुत से होते है लेकिन इस लेख में हम वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) की बात करेंगे। बहुत से कृषक आज भी गुणवत्तापूर्ण उर्वरक की कमी से झूझ रहे है। यदि आपके पास 100 वर्ग गज का भूखंड और एक नए व्यापार को करने का जज्बा है तो आप उनकी इस कमी को पूरा कर सकते है और साथ ही साथ एक अच्छी आमदनी भी प्रारम्भ कर सकते है। जी हाँ हम बात कर रहे है वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) या जैविक खाद या केंचुआ खाद की। वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) खेती के लिए जरुरी सभी पोषण तत्वों से भरपूर एक जैविक उर्वरक होता है। वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) आज देश में अपनी उत्पादन तकनीक, पर्यावरणीय संतुलन, अर्थव्यवस्था व मानव स्वास्थ्य को मजबूत रूप देने में अपने पैर जमा चुका है। यह वातावरण को बिना हानि पहुँचाये एक साधारण दिखने वाले जीव केंचुए के द्वारा बनायीं जाती है। केंचुए को कृषको का मित्र या भूमि की आंत कहा जाता है।
वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) की विशेषताएँ
वैसे तो वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) अपने आप में एक उच्च गुणवत्तापूर्ण जैविक खाद है व इसकी विशेषतायें निम्न प्रकार से है।
- सामान्यतः ये खाद सडे-गले अवशेषो से बनायीं जाती है लेकिन इसमें बनने के बाद बदबू नहीं आती है।
- आमतौर पर खाद्य अवशेषों में मच्छर, मक्खी व अन्य कीड़े मकोड़े की समस्या पायी जाती है लेकिन वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) में इस प्रकार की कोई भी समस्या नहीं पायी जाती है जिससे आस पास का वातावरण भी स्वच्छ रहता है।
- वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) में सूक्ष्म पोषित तत्वों के नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश भी रासायनिक खाद या साधारण कम्पोस्ट की तुलना में अधिक मात्रा में मिलता है।
- वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) की आवश्यकता प्रति एकड़ मात्र 2 टन की होती है जो कम्पोस्ट खाद की तुलना में कम होती है।
- वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) को तैयार होने या पकने में मात्र 60 से 70 दिन का समय लगता है।
- हर माह एक टन वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) खाद को प्राप्त करने के लिए 100 वर्ग फुट आकार के वर्मी बेड की जगह पर्याप्त होती है।
वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) बनाने के लिए आवश्यक सामग्री
- वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) बनाने के लिए अपनी सुविधा अनुसार या 2 से 3 मीटर का गड्ढा या पक्की ईटों के खेली बना सकते है
- बालू मिट्टी गड्ढे को 3 इंच भरने के लिए
- गोबर की खाद
- सूखे कार्बनिक पदार्थ
- खेती से निकला हुआ कचरा
- केचुए
- पानी आवश्यकता के अनुसार
वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) को तैयार करने का तरीका
यदि आप प्रारंभिक स्तर पर ही ये व्यापार शुरू करना चाहते है तो इसके लिए आपको निम्न बाते ध्यान रखनी होगी।
स्थान का चयन
स्थान का चयन आपके उत्पाद को बनाने में काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसके लिए सामान्यतः 100 वर्ग गज भूमि का टुकड़ा पर्याप्त रहेगा आप चाहे तो और भी बड़ा स्थान ले सकते है। आपको ये स्थान शहर से दूर गांव या कस्बों की पास स्थापित करना चाहिए ताकि आपकी आवागमन की लागत कम लगे और आपकी खाद किसानो को आसानी से उपलब्ध हो जाये।
वर्मी बेड कैसे बनाये
वैसे तो पक्की क्यारियाँ (vermi-beds) को आप अपनी सुविधानुसार किसी भी क्षेत्र में बना सकते है किन्तु प्रारम्भिक रूप से शुरू करने के लिए छोटे स्थान का चुनाव कर सकते है। वर्मीकम्पोस्ट बनाने के लिए ईंटों की पक्की क्यारियां (Vermi-beds) बनाई जा सकती है। इसमें प्रत्येक वर्मी बेड की लम्बाई आप अपने अनुसार कितनी भी रख सकते है, लेकिन चौड़ाई 1 मीटर ही रखे, यहाँ ऊँचाई 2 से 2.50 फुट से ज्यादा न रखे।
केंचुए की प्रजाति
सामान्यतः पूरे विश्व में केंचुए की 2500 से अधिक प्रजातियां पायी जाती है जिनमे से भारत में केचुँए की 1000 प्रजातियां पायी जाती हैं। केचुँए की कोई खास प्रजाति वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) को बनाने के लिए जरुरी नहीं है स्थानीय मिट्टी में केंचुओं की स्थानीय प्रजाति का चयन इस खाद को बनाने के लिए उपयोगी है जिसे आप अपने निकट के कृषि विश्वविद्यालय, बागवानी विभाग या कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से भी प्राप्त कर सकते है। सामान्यतः भारत की परिस्थितियों में वर्मीकम्पोस्ट के लिये केंचुए की दो किस्में अच्छी होती हैं। एक किलो केचुँए 400 से 700 रुपये प्रति किलो में बिकता है।
1. आइसीनिया फोटिडा
इसे लाल कृमि (Red Worm) भी कहा जाता हैं। इसका पालन उत्तर भारत में ज्यादा होता है। यह लाल भूरे या बैंगनी रंग का होता है। इसकी उत्पादन क्षमता काफी अधिक तथा रख-रखाव आसान होता है।
2. यूडिलस यूजिनी
इसका पालन सामान्यतः दक्षिण भारत में अधिक किया जाता है। यह हर तापमान में रहने के योग्य होते है।
वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) बनाने की प्रक्रिया
- क्यारी की भूमि को लकड़ी या लोहे के पट्टे से पीट कर पक्का व समतल कर ले। इस पर 6-7 सेंटीमीटर मोटी बालू रेत की परत बिछा दें।
- फिर इसके बाद सूखी हुयी नीम की पत्तियो का चूरा डाला जाये। नीम अपने आप में एक बहुत अच्छा एंटीबायोटिक माना जाता है जो वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) को उच्च गुणवत्ता प्रदान करता है।
- इस पर मोटे कार्बनिक अवशिष्ट पदार्थ (पत्तियों का कचरा, नारियल का भूसा, गन्ने के डंठल, पौधे के तने,) जो आसानी से अपघटित हो जाते है को छोटे टुकड़ो में काटकर 2 इंच मोटी परत बिछा दें ये केंचुए के लिए वायु संचरण का कार्य करता है जिससे केंचुए की वृद्धि, संचरण आदि बढ़ जाती है।
- अब इसके ऊपर 2 से 3 इंच मोटी गोबर की परत (ध्यान रहे तजा गोबर नहीं) डाली जाये।
- फिर इस पर भूसे के टुकड़े की परत डाली जाये
- इसके बाद फिर गोबर की एक और परत डाली जाये
- एक बार फिर भूसे की परत डाली जाये।
- अब इसके ऊपर केंचुए पूरे बेड में फैला दिए जाये। इन केचुओं को गड्ढ़ा खोद कर अंदर डालने की जरुरत नहीं है कुछ समय में केचुए अपने आप अंदर चले जायेगे और खाद बनाने का कार्य आरम्भ देंगे।
- यहाँ ध्यान रखने की बात ये है की हर परत को लगाने के बाद पानी का छिड़काव किया जाये ताकि नमी बनी रहे और केचुओं को वृद्धि करने का उपर्युक्त वातावरण मिले।
- अंत में बेड को मोटी टाट पट्टी या बोरी से ढक देवें।
- लगभग 60 से 70 दिनों में वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) खाद प्राप्त हो जाती है।
वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) बनाने में रखी जाने वाली सावधानियां
कम समय में अच्छी और गुणवत्ता वाली वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) बनाने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखा जाना आवश्यक है ।
- वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) बनाते समय अपघटित पदार्थो में से पत्थर लकड़ी, कांच या अन्य पदार्थो को निकल देवें।
- बेड में ताजा गोबर ना डाले क्योकि ताजा गोबर में गर्मी (Heat) होने के कारण केंचुए पनप नहीं पाते अतः गोबर को 5 से 7 दिनों के लिए खुले में छोड़ देवें।
- वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) के बेड के कचरे व अन्य पदार्थ में 30 से 40 प्रतिशत नमी की आवश्यकता होती है। अतः गर्मियों में रोज सुबह और सर्दियों में 3 से 4 दिन में एक बार पानी का छिड़काव अवश्य करे।
- आमतौर पर ये समस्या होती है की पानी कितना डाला जाये इसके लिए आप वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) को हाथ में लेकर दबाये यदि इसमें से पानी निकलता है तो पानी ज्यादा है और यदि दबाने पर टूट जाये तो पानी की कमी है और यदि दबाये और न टूटे तो इसमें पानी की मात्रा सही है।
- वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) बेड को तेज धूप व बारिश के पानी से बचाना चाहिए। तेज धूप पड़ने से कचरे का तापमान अधिक हो जाता है जिससे केंचुए तली में चले जाते हैं अथवा अक्रियाशील हो जाते है और मर जाते हैं व कचरे में पानी ज्यादा होने पर भी खाद के उत्पादन में कमी आती है। इसलिए वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) बेड में छाया का समुचित रूप से प्रबंध किया जाना चाहिए।
- वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) खाद बनाने के दौरान किसी भी प्रकार के कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
- 60 से 70 दिनों में वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) खाद के प्राप्त होने पर इसको छान कर सही तरीके से प्लास्टिक के बैग्स में पैक करके रखा जाना चाहिए जिससे इसके नमी ख़त्म न हो।
- वर्मी बेड को सांप, मेढ़क, छिपकली, चूहे, गिलहरी, गिरगिट आदि हानिकारक जीव जंतुओं से बचाने के लिए मुर्गा जाली प्लेटफार्म के चारों ओर लगानी चाहिए। दीमक, चींटी से बचाव हेतु प्लेटफार्म के चारो तरफ नीम का पानी प्रयोग करते रहना चाहिए।
- वर्मी बेड में वायु के सही संचरण के लिए सप्ताह में एक बार बेड को हाथ से पलट देना चाहिए ताकि गोबर पलट जाये जिससे केचुओं को गति करने में आसानी रहे।
वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) बनाने की लागत
सामान्यतः वर्मीकम्पोस्ट बनाने के लिए 5-6 रुपये प्रति किलो खर्चा आता है व तैयार वर्मीकम्पोस्ट 10 से 20 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकता है।
वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) की मार्केटिंग (Marketing)
उत्पाद तैयार होने पर अब उसे मार्किट में बेचना होता है। आप निम्न तरीको के माध्यम से तैयार वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) को उसके खरीददार तक आसानी से पंहुचा सकते है।
- इंटरनेट – आज से समय में इंटरनेट के माध्यम से किसी भी सामान को आसानी से बेच सकते है। आप अपने तैयार माल का सोशल नेटवर्किंग के माध्यम से प्रचार कर सकते है। जिससे आपको खरीददार डायरेक्ट मिल सकते है।
- ऑनलाइन सेलिंग – आजकल बहुत सी ऑनलाइन सेलिंग कंपनियां जैसे अमेज़न, फ्लिपकार्ट भी कार्यरत है जो आपके ब्रांड का प्रमोशन करते है साथ ही साथ उसको कस्टमर तक भी पहुँचते है।
- सरकारी माध्यम – केंद्र सरकार के द्वारा eNam से एक वेबसाइट प्रारम्भ की गयी है। जिसमे आपके उत्पाद को सरकार के माध्यम से भी बेचा जा सकता है। इसके लिए आपको इसकी सदस्यता फॉर्म भरना होता है इसके बाद आप अपने उत्पाद को बेच सकते है फॉर्म भरने की अधिक जानकारी के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करे https://enam.gov.in/NAMV2/home/other_register.html
- IFFCO पोर्टल – आप इफको की वेबसाइट पर जाकर भी वह अपने उत्पाद को बेचने की जानकारी ले सकते है। अधिक जानकारी के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करे http://iffcokisan.com/home/services
- डीलरशिप – आप अपने उत्पाद की डीलरशिप भी दे सकते है जिसके लिए आप हर उत्पाद की बिक्री पर कमिशन दे सकते है।
- स्वयं की दुकान – आप अपने आस पास के गाँवों में अपने खुद की जैविक खाद की दुकान खोल सकते है जहा आरम्भ में आप काम दामों में उच्च गुणवत्तापूर्ण खाद दे कर आपने ग्राहकों को आकर्षित कर सकते है।
वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost)का प्रक्षिशण कहाँ से ले
वर्मीकम्पोस्ट को बनाने का प्रक्षिशण आप अपने पास ही के कृषि विश्वविद्यालय, कृषि महाविद्यालय, बागवानी विभाग, कृषि विज्ञानं केंद्र से ले सकते है।
वर्मीकम्पोस्ट से सम्बंधित ये जानकारी यदि आपको पसंद आयी या आप इस टॉपिक के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो हमे कमेंट में बताएं।
Good thoughts good idea
thanks Naresh. I hope many other articles are more helpful to you.
Good article
Thanks . I hope many other articles are more helpful to you.
Thank you sir for this great idea
Thanks . I hope many other articles are more helpful to you.
This is right, I am doing this and go towards success.
Thanks. if any guidance you want, write feel free